*बाल-गीत*
कीशू,बिटिया रानी सुन लो,
ऊनी टोपी से सिर ढँक लो।
अपना स्वेटर अभी पहनना-
नंगे पैरों नहीं टहलना।।
देखो,दादी काँप रही है,
कंबल से तन ढाँक रही है।
बैठे ओढ़ रजाई दादा-
कहते ठंडक पड़ती ज्यादा।।
अंकुर बेटे तुम भी सुन लो,
जाकर अपनी कोट पहन लो।
कान भी अपना ढाँके रखना।
मानो सदा बड़ों का कहना।।
ठंडक से अब बच कर रहना,
खेल-कूद कुछ कम ही करना।
घर में बैठे करो पढाई-
इसमें सबकी छुपी भलाई।।
सूरज की भी बँधी है घिघ्घी,
कुहरा आया चढ़ कर बग्घी।
दिन में छाया रहे अँधेरा-
जैसे लगता अभी सवेरा।।
आलू-गोभी और टमाटर,
सोया-मेंथी-धनिया लाकर।
पालक लेकर साग पकाओ-
सभी इसे मस्ती से खाओ।।
© डॉ0 हरि नाथ मिश्र
991944 6372
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