"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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डॉ0 रामबली मिश्र
*क्या तुम...? (सजल)*
क्या तुम सच में प्यार करोगे?
या मारोगे और मरोगे??
सच बतलाओ झूठ न बोलो।
क्या मुझको स्वीकार करोगे??
सोच-समझकर बतलाओ प्रिय।
क्या मुझपर इतबार करोगे??
यही चाह है प्यारा घर हो।
क्या सचमुच में धार धरोगे??
कसम खुदा की तुम सर्वोत्तम।
कभी नहीं इंकार करोगे??
दिल में केवल तुम्हीं रमे हो।
क्या यह सच स्वीकार करोगे??
तुम हो तो जग में हरियाली।
क्या सूना संसार करोगे??
जीवन की तुम अभिलाषा हो।
क्या प्रिय सच्चा प्यार करोगे??
रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुर
9838453801
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