गुब्बारे सतरंगी
रंग बिरंगे बड़े अतरंगी
गुब्बारे ले लो सतरंगी
नीले पीले हरे गुलाबी
बच्चों की खुशियों की चाबी
आओ बाबू! एक तो ले लो
इन गुब्बारों से तुम खेलो
खेले खेल ये कैसा मुझ संग
तुम्हें खिलाऊँ खेलूँ ना इन संग
बाबा की मैं प्यारी गुड़िया
मेहनत करूं चलाऊँ दुनिया
आँखों में छोटे से सपने
सुखी रहे बस मेरे अपने
उनकी खातिर करुँ चिरौरी
आज ना खाएं रोटी कोरी
सतरंगी फूलों सा बचपन
खोया कहाँ बनी क्या अटकन
एक बेचे एक सामने खेले
जीवन की सच्चाई बोले
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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