धन्यवाद
धन्यवाद का वह अधिकारी ।
जिसका हिय पावन अविकारी।।
जो मानव है परहितकारी।
उसको समझो धर्माचारी।।
वही धन्यवाद पाता है।
जो दुखभागी बन जाता है।।
वही धन्यवाद का भागी।
जो मानवता का अनुरागी।।
धन्यवाद उसको मिलता है।
जो सबका साथी बनता है।।
परमारथ का जो रक्षक है।
धन्यवाद का वह शिक्षक है।।
धन्यवाद का पात्र वही है।
जिसका गन्दा भाव नहीं है।।
धन्यवाद उसको ही देना।
जिसका उत्तम भाव सलोना।।
पुण्य कर्म को जो करता है।
धन्यवाद उसको मिलता है।।
डॉ0 रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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