"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
डॉ0 रामबली मिश्र
*प्रेम मिलन... (सजल)*
प्रेम मिलन का सुंदर अवसर।
मंद बुद्धि खो देती अक्सर।।
प्रेम पताका जो ले चलता।
पाता वही प्रेम का अवसर।।
उत्तम बुद्धि प्रेम के लायक।
बुद्धिहीन को नहीं मयस्सर।।
भाव प्रधान मनुज अति प्रेमी।
भावरहित मानव अप्रियतर।।
रहता प्रेम विवेकपुरम में।
सद्विवेक नर अतिशय प्रियवर।।
प्रेमातुर नर अति बड़ भागी।
पाता दिव्य प्रेम का तरुवर।।
प्रेम दीवाना सदा सुहाना।
प्रेमपूर्ण भाव अति सुंदर।।
जिसका दिल अति वृहद विशाला।
वही सरस मन प्रेम समंदर।।
जिसका मन विशुद्ध हितकारी।
उसको मिलता प्रेम उच्चतर।।
प्रेम मिलन अतिशय सुखदायी।
समझो दिव्य प्रेम जिमि ईश्वर।।
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
Featured Post
दयानन्द त्रिपाठी निराला
पहले मन के रावण को मारो....... भले राम ने विजय है पायी, तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम रहे हैं पात्र सभी अब, लगे...
-
सुन आत्मा को ******************* आत्मा की आवाज । कोई सुनता नहीं । इसलिए ही तो , हम मानवता से बहुत दूर ...
-
मुक्तक- देश प्रेम! मात्रा- 30. देश- प्रेम रहता है जिसको, लालच कभी न करता है! सर्व-समाजहित स्वजनोंका, वही बिकास तो करता है! किन्त...
-
नाम - हर्षिता किनिया पिता - श्री पदम सिंह माता - श्रीमती किशोर कंवर गांव - मंडोला जिला - बारां ( राजस्थान ) मो. न.- 9461105351 मेरी कवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें