सरस्वती वंदना
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जयति जय जय वीणा वादिनी
कमल आसन पर तू विराजे
शुभ्र वस्त्र से मां तू साजे
शीश नमन करता हूँ तेरे आगे।
सबको विद्या बुद्धि का दान दे
ना रहे मां कोई भी अज्ञानी
सभी राग द्वेष से दूर हो
जयति जय वीणा वादिनी।
अज्ञानता और भ्रमित मन में
भरो ज्ञान की संचेतना
भव बंधनो के जाल से
तार दो मां श्वेताम्बरा।
प्रार्थना तेरे चरणों में मेरी
स्वीकार कर दो मेरी वंदना
मन वचन और कर्मणा से
मां मैं नित करु तेरी वंदना
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कालिका प्रसाद सेमवाल
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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