*बैठो प्रेम मंच पर* *(चौपाई ग़ज़ल)*
बैठो प्रेम मंच पर आ कर।
सबसे मिलना शीश झुकाकर।।
सबसे कहना बात एक ही।
बनें सभी नित रसिक सुधाकर।।
सबके उर में मंत्र फूँकना।
हों प्रसन्न सब प्रेम बहा कर ।।
मृतक जगत को जिंदा दिल दो।
सबको खुश रख उन्हें जिलाकर ।।
नाखुश करना नहीं किसी को।
खुद खुश होना दिल बहलाकर।।
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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