*हे माँ शारदे तेरा गुणगान करुं*
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{ }मां शारदे मैं तेरी नित वंदना करुं,
मां अनेकता में एकता का विश्वास भर।
{ }वीणा के झंकार ऐसी भर दे,
विद्या के दान से झोली मेरी भर दे।
{ }दीन दुखियों की सेवा सदा करुं,
दृढता से कर्तव्य का पालन करुं।
{ }सुख समृद्धि व संस्कृति से भर दे,
प्रेम सबसे करुं छोटा या बड़ा हो।
{ }मां मगल मन मेरा कर दो,
हे मां ज्ञान की ज्योति से भर दो।
{ }उर में आकर बसो स्वप्न साकार कर दो,
हे मां शारदे मुझे ज्ञान दीजिये।
{ }तेरी कृपा मुझ पर हमेशा रहे,
चरणों में बैठ कर नित तेरी. वंदना करता रहूं।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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