"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
डा. राम कुमार झा निकुंज
दिनांकः १८.१२.२०२०
दिवसः शुक्रवार
विधाः गीत
शीर्षकः 👰सँजोए सजन मन❤️
अज़ब खूबसूरत , नज़ाकत तुम्हारी।
नशीली इबादत , मुख मुस्कान तेरी।
कजरारी आँखें , मधुशाला सुरीली।
लहराती जुल्फें , बनी एक पहेली।
गालें गुलाबी , गज़ब सी ये लाली।
चंचल वदन चारु , लटकी कानबाली।
दिली प्रीति मन में,नटखटी तू लजायी।
मुहब्बत नशा ये , ख़ुद मुखरा सजायी।
संजोए सजन मन , बयां करती जवानी।
कयामत ख़ुदा की , मदमाती रवानी।
अनोखी परी तू , निराली दीवानी।
कयामत ख़ुदा की , मदमाती रवानी।
खिलो जिंदगी में,महकती कमलिनी सी।
निशि की नशा बन, हँसती चाँदनी सी।
पूजा तू अर्चन , चाहत जिंदगी की।
रुख़्सार गुल्फ़ाम ,चाहत प्रिय मिलन की।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक (स्वरचित)
नई दिल्ली
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