डा. राम कुमार झा निकुंज

दिनांकः १८.१२.२०२० दिवसः शुक्रवार विधाः गीत शीर्षकः 👰सँजोए सजन मन❤️ अज़ब खूबसूरत , नज़ाकत तुम्हारी। नशीली इबादत , मुख मुस्कान तेरी। कजरारी आँखें , मधुशाला सुरीली। लहराती जुल्फें , बनी एक पहेली। गालें गुलाबी , गज़ब सी ये लाली। चंचल वदन चारु , लटकी कानबाली। दिली प्रीति मन में,नटखटी तू लजायी। मुहब्बत नशा ये , ख़ुद मुखरा सजायी। संजोए सजन मन , बयां करती जवानी। कयामत ख़ुदा की , मदमाती रवानी। अनोखी परी तू , निराली दीवानी। कयामत ख़ुदा की , मदमाती रवानी। खिलो जिंदगी में,महकती कमलिनी सी। निशि की नशा बन, हँसती चाँदनी सी। पूजा तू अर्चन , चाहत जिंदगी की। रुख़्सार गुल्फ़ाम ,चाहत प्रिय मिलन की। कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक (स्वरचित) नई दिल्ली

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511