*।।रचना शीर्षक।।*
*।।वही होता सफल जो काम*
*को समर्पित होता है।।*
हर मुश्किल के भीतर ही
मुश्किल का हल मिलता है।
कर्तव्य साधना से जरूर
सुख का पल मिलता है।।
कठनाई से ही मिलता है हर
अनुभव फल बहुत बड़ा।
कोशिश करते रहने से ही
इक अच्छा कल मिलता है।।
जान लो पूरी दुनिया जीत
सकते हैं अपने व्यवहार से।
जीता हुआ भी हार सकते
हैं अपने ही अहंकार से।।
कोशिश करते रहो आदमी
से अच्छा इन्सान बनने की।
आदमी मानव बन जाता है
दूसरों के सरोकार से।।
कुशल व्यवहार व्यक्तित्व
का ही दर्पण होता है।
जीत का मंत्र हमारे काम में
ही छिपा समर्पण होता है।।
लक्ष्य और विचार ही हमारे
भविष्य का करते हैं निर्माण।
वही होता सफल जो हर
कोशिश को अर्पण होता है।।
कठनाईयां जब भी आती
तो कुछ सीखा कर जाती हैं।
जान लीजिए आत्म बल का
उपहार साथ लेकर आती हैं।।
आत्म बल से मिलती है हर
चुनौती से लड़ने की शक्ति।
हमारी आंतरिक ऊर्जा जाग्रत
होकर हमें जीत दिलाती है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।।*
मोब।।।। 9897071046
8218685464
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