डॉ० रामबली मिश्र

 *सुंदर अदा में (गजल)*


सुंदर अदा में मचलते मचलते।

 मचलते ही रहना सदा चलते चलते।।


कभी सीधे हो कर कभी झुक कर चलना।

कभी टेढ़ हो कर मचलते मचलते।।


हाथों में ले कर तिरंगा मचलना।

दिशाओं में नाचो थिरकते थिरकते।।


खुद को भुलाकर कलाएँ दिखाना।

बातें सब करना बहकते बहकते।।


अदाओं से मोहित करो दर्शकों को।

अचरज दिखाना महकते महकते।।


मधुर भाव विह्वल बने दिखते रहना।

रहना हृदय को बदलते बदलते।।


सदा प्यार के बोल से मुग्ध करना।

चलते ही जाना चहकते चहकते।।


यात्रा गगन की करो बन परिंदा।

गगन को उतारो उतरते उतरते।।


मचलते ही जाना महकते ही आना।

गमकते ही रहना प्रिया कहते कहते।।


विखेरो अदायें करो मस्त सबको।

चले जाना जग से सदा हँसते हँसते।।


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801

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