गंगा मय्या पर कुछ दोहे--
गंगा की पावन कथा ,गाते हैं हम आप ।
इसकी पावनता हरे ,कितनों के संताप।।
कितना अनुपम दे गये ,धरती को उपहार ।
भागीरथ ने कर दिया ,हम सब पर उपकार ।।
गंगा माँ पर क्यों नहीं ,हो हमको अभिमान ।
इसके आँचल में छिपा ,जीवन का वरदान ।।
उसको ही दूषित किया ,और दिये संताप ।
जिस माँ के आशीष से, पले बढ़े हम आप ।।
गंगा को मैला किया ,गया कलेजा काँप ।
हम सबकी करतूत पर ,माँ रोती चुपचाप ।।
गंगा निर्मल स्वच्छ हो ,बढ़े राष्ट्र का मान।
साग़र इस कल्याण हित,तेज करो अभियान ।।
🖋विनय साग़र जायसवाल
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