मानवता
दोहा छंद
8.12.2020
मानवता अब खो रही,बदल रहा इंसान,
दो धारी भाषा अब,बोल रहा शैतान।
नैनो में ना शरम है,ना मन में उपकार
चौराहे पर रो रहे,सब ही परोपकार।
हो रहे नीलाम आज, नारी के अहसास
निःशब्द सब लोग हुए,मन में ना है आस।
नारी तो बे-मोल है,लुटती रहती लाज
कान्हा लो अवतार अब,सृष्टि पर ही आज।
आ जाओ संसार में, ले कर के अवतार
बुद्धि दो प्रभु आप ही,तारो पालन हार।
स्वरचित
निशा अतुल्य
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