डॉ० रामबली मिश्र

 *सुनो सुनाऊँ. .*

    *(ग़जल)*


सुनो सुनाऊँ एक कहानी।

होती सबसे मस्त जवानी।।


जो चाहत हो पूरी कर लो।

सबसे सुंदर सुखद जवानी।।


यही अवस्था अति बड़ भागी।

लिखती अपनी अमर कहानी।।


अमृत जैसी यह स्थिति है।

गाती मादक गीत जुबानी।।


मौखिक मन की यह भाषा है।

कहती बातें सदा सुहानी।।


परम सुहाना यह जीवन है।

अति कौतूहलपूर्ण रवानी।।


रचत जवानी परिभाषा है।

अति विशिष्ट भावुक अभिमानी।।


भावुकता में बोल विशिष्टा।

श्रमसाध्या जिंदगी सयानी।।


बहुत सयानी अरु मनमानी।

सदा जवानी लिखत कहानी।।


कुछ भी नहीं असंभव इस में।

सब कुछ संभव चाहत प्राणी।।


स्त्री हो या पुरुष वचन हो।

दिखत जवानी में जिंदगानी।।


प्रेम पंथ की बनी पथिक यह।

दिव्य जवानी अति मस्तानी। 


यह सशक्त हथियार सभी का।

सदा जवानी महा भवानी।।


क्रियाशील यह करती सबको।

शक्तिसिंधुमय सृष्टि प्रदानी।।


नहीं किसी से कुछ भी याचन।

महादायिनी नित्य जवानी।।


रचनाकार:डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801


*तुझे देखता हूँ तो..(ग़ज़ल)*


तुझे देखता हूँ तो लगता यही है।

सपनों के स्वर्णिम महल में  तू ही है ।।


तू ही रात रानी दीवानी जवानी।

कहती कहनी जुबानी तू ही है।।



बनी जिंदगानी रवानी सयानी।

 सुहानी बयानी सुजानीतू ही है।।


कहाँ से तू आया है यह तो बता दे?

रच-रच गढ़ा ब्रह्न जिसको तू ही है।।


आया जगत में तू उपदेश देने।

जगत को सजाने की काया तू ही है।।


मुर्दा पड़े हैंजगत के ये प्राणी।

अमृत पिलाने को आया तू ही है।।


बहकना-भटकना कभी भी कहीं मत।

प्रेम रस पिलाने को आया तू ही है।।


रचनाकार: डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801


*देखा लगा जैसे..*

     *(ग़ज़ल)*


देखा लगा जैसे तुम प्रियतमा हो।

परम रूपसी दिव्य सर्वोत्तमा हो।।


लुभाना सा चेहरा मस्तानी सी आँखें।

दीवाना सा अंदाज प्रिय अनुपमा हो।।


भावुक हृदय में श्रृंगारों का तोहफा।

सुंदर सलोनी  अदा शिव उमा हो।।


आँखों में सुरमा लगाये मनोरम।

बहुत शान्त सुंदर सजी शुभ समा हो।।


चमकती थी जैसे तड़ित- चालिका सी।

चहकती दमकती महकती क्षमा हो।।


उपमा लजाती दिखी देख तुझको।

मनोहर छटा सी सदा उत्तमा हो।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801

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