मधु शंखधर स्वतंत्र

 *ऐसी पुस्तक*

📚📚📚✒️

मन के भावों से लिख डालूँ जी करता है ऐसी पुस्तक।

जिसमें जीवन सार लिखा हो अर्थ समाए ऐसी पुस्तक।


ना रामायण ना ही गीता,सुख दुख का संसार समाए,

शब्द शब्द हिय को भा जाए, मन हर्षाए ऐसी पुस्तक।।


बस इतिहास नहीं बतलाना वर्तमान की घटनाएँ हो,

सहज दृश्य सबको दिखलाए, सत्य दिखाए ऐसी पुस्तक।।


ना सुर लय ना छंद बद्ध ही, एक विधा नव जिसमें शामिल,

एक सूत्र में देश बाँध दे, शक्ति  समाए ऐसी पुस्तक।


नारी का उत्थान लिखे जो, वीरों का सम्मान लिखे जो।

 विश्व पटल पर सब पढ़ पाए सबको भाए ऐसी पुस्तक।।


मौलिक बातें शब्द बने अरु वाक्य सत्यता से पूरित हो,

सत्य शिवम् सुंदर जिसमेंं हो,

गणपति गाए ऐसी पुस्तक।।


देवभूमि के सकल सार को, सब तक लाए ज्ञान बढ़ाए,

जीवन तृष्णा तृप्त करा *मधु*, ख्याति दिलाए ऐसी पुस्तक।।

*मधु शंखधर स्वतंत्र*

*प्रयागराज*

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