ये दुनिया कितनी नश्वर है
20.12.2020
ये दुनिया कितनी नश्वर है
समझ कर भी नासमझ है ।
मंजिल के लिए भटके हरपल
राहों की न कोई खबर हैं ।
साथ चले थे जो राही
कब राहों में बिछड़ें कैसे
कहाँ खबर थी दिल को ये
कि दुनिया इतनी नश्वर है ।
सब साथ छोड़ चले जाते हैं
बस धर्म कर्म ही सँग रहे
शाश्वत तो बस प्रभु नाम
जिसके दम पर सब जीते हैं ।
कोई माने या न माने
वो कलाकार बड़ा उम्दा है
कठपुतली हमें बना करके
वो नश्वर दुनिया में नचाता है ।
यूँ बीच राह में छूट जाए
जब कोई अपना प्रियवर
ये दुनिया कितनी नश्वर है
तब पता हमें चल पाता हैं ।
करो सत्य धारण मन से
और राग द्वेष का त्याग करो
लोभ मोह तज कर मन से
तुम नश्वरता से उठ ऊपर देखो ।
सकल संसार तुम्हारा है
जो जीवन तुमने पाया है
रहो कर्तव्य निष्ठ सदा बनकर
मन को फर्क नहीं पड़ता है
कि ये दुनिया कितनी नश्वर है ।
स्वरचित
निशा अतुल्य
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