जय माँ शारदे
लावणी छंद आधारित गीत
कब तक हलधर के अरमानों , को यूँ आप जलाओगे ,
लूट किसानों के खेतों को , कैसे देश बचाओगे।
क्यों हलधर ने घर को तजकर , संसद को जा घेरा है ,
क्यों सरहद पर दिल्ली की यूँ , जाकर डाला डेरा है।
क्यों हलधर की माँगों को ये , मान रहे सरदार नहीं ,
क्यों वो फसलों की कीमत को , पाने का हकदार नहीं।
हलधर की छाती पर चढ़कर , कब तक बीन बजाओगे ,
लूट किसानों के खेतों को , कैसे देश बचाओगे।
क्या संसद का आँगन टेढ़ा , या फिर नो मन तेल नहीं ,
क्यों हलधर की माँगों से अब , होता इनका मेल नहीं।
नाव चलाने वाले हाथों , में क्यों अब पतवार नहीं ,
हलधर के वोटों के बिन तो , बनती ये सरकार नहीं।
बातें मानो हलधर की अब , वरना सब पछताओगे ,
लूट किसानों के खेतों को , कैसे देश बचाओगे।
संदीप कुमार विश्नोई रुद्र
दुतारांवाली अबोहर पंजाब 9417282827
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