संदीप कुमार विश्नोई रुद्र

 जय माँ शारदे

लावणी छंद आधारित गीत


कब तक हलधर के अरमानों , को यूँ आप जलाओगे , 

लूट किसानों के खेतों को , कैसे देश बचाओगे। 


क्यों हलधर ने घर को तजकर , संसद को जा घेरा है , 

क्यों सरहद पर दिल्ली की यूँ , जाकर डाला डेरा है। 

क्यों हलधर की माँगों को ये , मान रहे सरदार नहीं , 

क्यों वो फसलों की कीमत को , पाने का हकदार नहीं। 


हलधर की छाती पर चढ़कर , कब तक बीन बजाओगे , 

लूट किसानों के खेतों को , कैसे देश बचाओगे।


क्या संसद का आँगन टेढ़ा , या फिर नो मन तेल नहीं , 

क्यों हलधर की माँगों से अब , होता इनका मेल नहीं। 

नाव चलाने वाले हाथों , में क्यों अब पतवार नहीं , 

हलधर के वोटों के बिन तो , बनती ये सरकार नहीं। 


बातें मानो हलधर की अब , वरना सब पछताओगे , 

लूट किसानों के खेतों को , कैसे देश बचाओगे।


संदीप कुमार विश्नोई रुद्र

दुतारांवाली अबोहर पंजाब 9417282827

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...