😊 ख़ुद को थोड़ा और उछालो 😊
अंबर को छूने के सपने,
अपने मन में पालो भाई।
तभी सुनो तुम पा सकते हो,
तारों से भी अधिक ऊॅ॑चाई।
ख़्वाब नहीं जो ऊॅ॑चे होंगे,
कैसे ऊॅ॑चा उठ पाओगे।
कीट- पतंगे धरती के तुम,
सच मानो बन रह जाओगे।
बड़े इरादे वाले ही तो,
इस जग में कुछ कर पाए हैं।
अपनी नहीं संग में सबकी,
पीर वही तो हर पाए हैं।
सोचो यदि हनुमान न होते,
बैठे कपि सागर तट रोते।
सागर पार न कोई जाता,
सभी हाथ प्राणों से धोते।
बचपन में ही अंजनि लाला,
बड़े-बड़े सपने था पाला।
तभी बना पाया था बालक,
सूरज को जा गगन निवाला।
ऐसे बहुत लोग हैं भाई,
जिनने ऊॅ॑चे सपने पाले।
लगता था जो काम असंभव,
उनने वो संभव कर डाले।
तुम भी सपने ऊॅ॑चे पालो,
काम न संभव वो कर डालो।
नहीं कूप - मंडूप बनो तुम,
ख़ुद को थोड़ा और उछालो।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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