लोग नहीं क्यों बोलते ? (दोहे)
लोग नहीं क्यों बोलते, बहुत अहं या दर्प?
मानव हो कर किसलिये ,बन जाते हैं सर्प??
मानव बनना अति कठिन, शैतानी आसान
मानव बनने के लिए, हों समक्ष भगवान।।
बिन सुंदर आदर्श के, मानव बनता कौन?
पूछ रहा हरिहरपुरी, सारी दुनिया मौन।।
जिसको सत्संगति मिली, वही बना इंसान।
सदा कुसंगति में छिपी,बहुत भयंकर जान।।
मद में चकनाचूर मन, बन जाता शैतान।
करता रहता सहज मन, मानव का सम्मान।।
अपने को सब कुछ समझ, जो करता व्यवहार।
ऐसा दंभी मनुज ही, करता अत्याचार।।
मानव सार्थक है वही, जो करता संवाद।
जिसे प्यार संवाद से, वह शिव सा आजाद।।
हो कर मानव जो नहीं, करत मनुज से प्रीति।
इस नालायक के लिए, कुछ भी नहीं अनीति।।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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