"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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डॉ० रामबली मिश्र
*दिन भर प्रतीक्षा... (ग़ज़ल)*
दिन भर प्रतीक्षा किया, पर न आये।
बताओ जरा, काहे दिल को जलाये।।
आना नहीं था, बता देते पहले।
गलती किया क्या जो इतना रुलाये?
मेरी आरजू का नहीं कोई मतलब।
छला इस कदर आँसुओं को सजाये।।
नयन अश्रुपूरित विरह वेदना से।
भुला पाना मुश्किल बहुत याद आये।।
कहाँ जायें अब ये बता मेरे प्रियवर?
तेरी याद में अब कहाँ गुम हो जायें??
धोखा ही जीवन का पर्यायवाची।
धोखे पर धोखा बहुत चोट खाये।।
संभालना कठिन डगमगाते कदम हैं।
टूटे हृदय को हम कैसे मनायें??
नहीं राह दिखती न मंजिल है दिखता।
बता दो मुसाफिर किधर को अब जायें??
सताया क्यों इतना तरस आती खुद पर।
क्यों कर के वादे कभी ना निभाये ??
झूठी कसम खा क्यों जाते मुकर हो?
बताओ ऐ दिलवर, क्यों दिल को बुझाये??
०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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