एस के कपूर श्री हंस

 *।।रचना शीर्षक।।*

*।।हर लफ्ज़ तेरा बन जाये मशाल*

*कलम से अपने वह फरमान लिखना।।*


जो मन  को  खुश  कर   सके

हमेशा   वह  सकून   लिखना।

जो गिरा सके दीवार भेदभाव 

की   वह    कानून   लिखना।।

मुरझाए न कभी  किसी चेहरे

की   रोशनी    और     रौनक।

कलम से  अपनी हमेशा  ऐसा

जज्बा जोशो  जनून  लिखना।।


पहले इंसान बनना और  फिर

आगे तुम    कलमकार  बनना।

अपने से छोटे और बड़ों दोनों

के लिए तुम सरोकार   बनना।।

बस लिखना  ही काफी  नहीं

शुरुआतअपने आचरण से हो।

जो सिल   सके   हर टूटे रिश्ते 

की तुरपाई वो दस्तकार बनना।।


दृढ़ता,करुणा,ज्ञान, निर्णय,हर

गुण लिखना   अपने लेखन में।

बुद्धि,विवेक,दूजों को  समझने

का सुर दिखनाअपने लेखन में।।

कभी अहंकार , प्रतिशोध, ईर्ष्या

आने नहीं पाये तेरी शब्दावली में।

कदापि झूठ के  हाथों  सच  मत

बिकना     अपने    लेखन     में।।


हर कदम पर मिटे   बुराई  कुछ

ऐसा तुम     व्याख्यान  लिखना।

शब्द बने मशाल  तुम्हारे   कुछ

ऐसा तुम    फरमान     लिखना।।

लफ़्ज़ों में   तुम्हारे   हो   ताकत

सारी     तस्वीर     बदलने   की।

जो नहीं कह   पाया हर आदमी

दिल के तुम वहअरमान लिखना।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।*

मोब                9897071046

                      8218685464

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