नूतन लाल साहू

 आत्मविश्लेषण

   सावधान


गलत वह नहीं थे

जिन्होंने धोखा दिया

गलत हम ही थे

जिन्होंने मौका दिया

अचानक रात के 10 बजे

हमारे मोबाईल की

रिंग टोन बजी

हमने उठाया तो

आवाज़ आई

बैंक का मैनेजर बोल रहा हूं

खुशियों का न रहा ठिकाना

बातों ही बातों में मैंने

बैंक खाते का डिटेल बता दिया

जब हो गया लाखों रुपए गायब

तब आया होश ठिकाना

गलत वह नहीं थे

जिन्होंने धोखा दिया

गलत हम ही थे

जिन्होंने मौका दिया

कहते हैं सागर की अपनी

होती हैं मर्यादा

सागर अपनी मर्यादा से

अब तक नहीं हिला है

पर हम प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं

कहने को सच कड़वा होता है

किंतु सत्य को कहना ही पड़ता हैं

जब चाहा विस्फोट कर रहा है

चंदन सी माटी पर

कोई भी पढ़ लेना

अंकित है सारी घटनाये

कोई भी हमें बता दें

प्रकृति की गोद में

हम,क्या सुरक्षित हैं

गलत वह नहीं थे

जिन्होंने धोखा दिया

गलत हम ही हैं

जिन्होंने मौका दिया


नूतन लाल साहू

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