नूतन लाल साहू

 त्याग


प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा

विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी

साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा

किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं

मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती

एक सांस भी तब आती हैं

जब एक सांस छोड़ी जाती है

छत,दौलत,हीरे,रतन,गिनते रहते हैं

लेकिन बाकी सांस का,रख न सका हिसाब

अगर सांस रुक जायेगी

तो वापिस नहीं आयेगी

आम आदमी यूं लगा है,जैसे पिचका आम

पढ़ना पड़ता है सत्य का,नियमित अध्याय

अपनी मर्जी का नहीं,अब कोई काम

प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा

विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी

प्राणी इस संसार में,चाहे जितना भी कर ले प्रयत्न

समय नहीं अनुकूल तो,कोई काम न होय

पूर्ण सफलता के लिए,दो चीजें रख याद

रब पर पूरी आस्था और आत्म विश्वास

कब क्या कर दे यह समय,कौन सका है जान

मिट्टी में मिल जायेगा,सत्ता का अभिमान

हरि इच्छा में छिपा है, मानव का कल्याण

कब समझेगा राज यह,कलियुग का इंसान

प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा

विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी

साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा

किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं

मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती

एक सांस भी तब आती है

जब एक सांस छोड़ी जाती हैं

नूतन लाल साहू

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