एस के कपूर श्री हंस

 *।।रचना शीर्षक।।*

*।।तुम मिसाल बनो।।आदमी*

*एक बेमिसाल बनो।।*


कुछ ऐसा करो काम कि

जमाना मिसाल दे।

आसमान से बात हो और

तगमा कमाल दे।।

पहचान तो मिले पर अहम

ना आये मन के अंदर।

संबको सहयोग दो कि नाम

तुझे बेमिसाल दे।।


बदन तो बना मिट्टी से और

साँसे बस उधार की हैं।

हैसियत नहीं जमींदार की ये

दुनिया किरायेदार की है।।

जान लो कि ये वक़्त हमेशा

मेहरबान नहीं रहता।

जान लो कि यही पहचान

इक समझदार की है।।


पके फल की तरह नरम और

मीठा भी बनो।

जो दिल में उतर जाये उस

बात का सलीका बनो।।

धूप में खड़े होकर ही मिलती

है अपनी परछाई।

काम सबके आ सको तुम

वह तरीका बनो।।


*रचयिता।। एस के कपूर श्री हंस

*बरेली।।*

मोब।।। 9897071046

                      8218685464


*आज का विषय।।*

*नारे।।कहावतें।मुहावरे ।लोकोक्ति*। *सूक्ति* *आदि।।* *(मौलिक व स्वरचित)*


*।।आधारित।।*

*।।प्रकृति।।पर्यावरण संरक्षण।।वृक्षारोपण।।जल से जीवन।।*

1

जल बचायें।जीवन बचायें

2

यह धरती    हमारी माता  है।

यही हमारी भाग्य विधाता है।।

3

आज   जल को बचाओ खूब।

नहीं तो कल नहीं पयोगे डूब।।

4

एक वृक्ष होता  सौ पुत्र समान है।

यही जीवन की असली कमान है।।

5

मत करो जल   की बरबादी।

बनो जरा इस ओर जज्बाती।।

6

प्रकृति की रक्षा करना  हमारा फ़र्ज़ है।

क्योंकि प्रकृति का हम पर बड़ा कर्ज़ है।।

7

पर्यावरण तभी ही   साफ होगा।

जब प्रदूषण जाकर हाफ  होगा।।

8

वन सम्पदा नहीं काटो भाई।

प्रकृति होगी बहुत दुखदाई।।

9

यह धरती करती सबसे बहुत दुलार।

यदि दोगे कष्ट तो दुख पायेगा संसार।।

10

वृक्ष लगाकर सेवा   करो   निरंतर।

निहित इसमें सुख दुःख का अंतर।।

11

पेड पी लेते हैं वायु का जहर।

कम होता प्रदूषण का कहर।।

12

हर पेड एक देवता समान।

इनकी महिमा को पहचान।।

13

हर वृक्ष में प्रभु का   वास   होता  है।

हमारे जीवन प्राण की आस होता है।।

14

जो रहते हैं प्रकृति के समीप।

स्वास्थ्य   के रहते वह करीब।।

15

जो लेते हैं प्रकृति का सहारा।

हर दुःख    उनसे   है    हारा।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"

*बरेली।।*

मोब।।।           9897071046

                      8218685464

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