सुनीता असीम

 आज नायाब होके देखते हैं।

जमजमे आब होके देखते हैं।

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कुछ असर प्यार का न हो तुझपे।

हम ही बेताब होके देखते हैं।

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इस तरह डाल लो नज़र हमपे।

आज सुर्खाब होके देखते हैं।

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मित्र पर करते हो कृपा कान्हा।

तेरा अहबाब होके देखते हैं।

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ओस से फर्क तो नहीं तुझको।

हम ही सैलाब होके देखते हैं।

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सुनीता असीम

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