*आप का एहसान*
*(ग़ज़ल)*
आप का एहसान मेरा सर्व है।
आप मेरी जिंदगी का पर्व हैं।।
आप को पाना जरूरी था बहुत।
आप की इंसानियत पर गर्व है।।
आप को देखा था इक दिन राह में।
लग रहा था आप मेरे सर्व हैं।।
गर्मजोशी से भरे अंदाज में।
लग रहे थे आप मानो पर्व हैं।।
दिव्य भावों की सहज मुस्कान में।
आप के इस रूप पर अति गर्व है।।
गति निराली मोहता मुखड़ा गजब।
प्रेम का आगाज मेरा सर्व है।।
करुण चुंबन बुद्ध जैसे अप्रतिम।
करुणसागर सभ्य मेरा पर्व है।।
दिव्यता की ज्योति लेकर हाथ में।
सत्यखोजी आप मेरे सर्व हैं।।
दीनता पर सजल नयनों में दिखे।
घाव धोते आप मह पर गर्व है।।
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें