😊 सार छंद पर एक गीत 😊
देखो देखो देखो देखो,
कली-कली मुस्काई।
मस्ती में गाते हैं भॅ॑वरे,
ऋतु बसंत जो आई।
बगियन में अब चहल-पहल है,
जागी है तरुणाई।
अठखेली करने को देखो,
सखियाॅ॑ दौड़ी आईं।
प्रेमालाप कली-भॅ॑वरों की,
उनके मन को भायी।
मस्ती में गाते हैं भॅ॑वरे,
ऋतु बसंत जो आई।
तितली रंग-बिरंगी उड़-उड़,
डाली डाली जाऍ॑।
कोशिश बच्चे लाख करें पर,
उनको पकड़ न पाऍ॑।
धमाचौकड़ी यह बच्चों की,
किसे न भाए भाई।
मस्ती में गाते हैं भॅ॑वरे,
ऋतु बसंत जो आई।
गई शरद क्या शिशिर गई अब,
हवा चली पुरवाई।
गीत गा रही कोयलिया अब,
देखो हर अमराई।
सरसों के पीले फूलों से,
खेत भरे हैं भाई।
मस्ती में गाते हैं भॅ॑वरे,
ऋतु बसंत जो आई।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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