कालिका प्रसाद सोमवाल

*हे मां शारदे कृपा करो* ****************** आरती वीणा पाणी की जयति जय विद्यादानी की, तू ही जमीं तू ही आसमां है आबाद तुझसे सारा जहां है। शीश पर शुभ्र मुकुट धारण क्रीट कुंडल मन को मोहे, मेरे उर में ज्ञान की ज्योति जगा दो मां और सद् बुद्धि का मुझे दान दे दो मां हे मां शारदे लिए हाथ में पुस्तक और माला, तू स्वर की देवी है संगीत की भंडार हो हर शब्द तेरा हर गीत तुझमें है। हे मां वीणा धारणी वरदे हम है अकेले हम है अधूरे, अपनी कृपा से हमें तार दो तू ही जमीं हो तू ही आसमां हो। हे मां शारदे आबाद तुझसे सारा जहां है, हो जाय मुझसे कोई भूल मां मुझ दीन पर दया करना ।। ****************** कालिका प्रसाद सेमवाल मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...