अभय सक्सेना

 भारत की पावन धरती पर

मां को अवतरित कराया था।


मां गंगा को अपने तप से

भागीरथी ने कैसे मनाया था।

भारत की पावन धरती पर

मां को अवतरित कराया था।।


मां गंगा की अविरल धारा

छल -छल कल- कल करती थी।

उनके वेग की प्रचंड धारा से

पृथ्वी थर- थर डरती थी।।


बाबा भोले का ध्यान लगा

प्रथ्वी विनती यह करती थी।

रोके प्रचंड तेज माता का

अपने विनाश से डरती थी।।


गंगा की प्रचंड धारा को

अपनी जटाओं से थामा था।

गंगोत्री से उद्गम करा कर

प्रथ्वी का मान बढ़ाया था।।


गंगा मैया के स्पर्श मात्र से

श्राप से उद्धार कराया था।

मां गंगा की अमृतधारा से

पितरों को पार लगाया था।।


मां गंगा की निर्मल धारा

भारत में जहां भी बहती हैं।

वहां की धरती को पाप मुक्त वो

अमृतधारा से करती हैं।।


हम सबकी मां पापनाशिनी

सभी पापों का नाश करो।

भागीरथी की तरह ही हम पर 

मां हमेशा कल्याण करो।।


कर विनती अभय यह कहते

मैया हम पर कल्याण करो।

करी मैली गंगा जो हमने

उस पाप को भी मां माफ करो।।

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अभय सक्सेना एडवोकेट

 48/ 268 ,सराय लाठी माहौल,

 जनरल गंज ,कानपुर नगर।

मो नं : 9838015019 , 8840184088.

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