राजेंद्र रायपुरी

 प्रस्तुत है हास्य रस पर एक रचना- 


कुछ लोगों ने नेताजी तक,

                 जब यह बात बढ़ाई।

हमें मिले कुछ हिस्सा जब भी,

                 खाऍ॑   आप   मलाई।

नेताजी उस्ताद बहुत थे, 

                  झट  से  बोले  भाई।

खा लो दो-दो लात चलो सब,

                 कल  है  मैंने  खायी।


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।

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