सफलता मिलती है (चौपाई ग़ज़ल)
दृढ़ भावों के सिंधु में, बहते रहो स्वतंत्र।
चाहे कोई कुछ कहे, हो न कभी परतंत्र।।
दृढ़ इच्छा सर्वोच्च का, नित करना सम्मान।
अपने पावन लक्ष्य पर, रखना हर पल ध्यान।।
यह सारा संसार मिल, भल डाले अवरोध।
डट कर करो मुकाबला, नष्ट करो प्रतिरोध।।
चूमा करती सफलता, यदि मन में उत्साह।
श्रम साधन रचता सदा, उद्देश्यों की राह।।
नैतिकता के पंथ चल, पाओ अपना लक्ष्य।
लक्ष्य समर्पित कर्म-श्रम, सदा स्तुत्य अरु सत्य।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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