राजेंद्र रायपुरी

पद पाते यदि आ गया, 

                    मन तेरे अभिमान।

पतन नहीं फिर दूर है, 

                  कहा मान मत मान।


पैसा सब-कुछ है मगर, 

                     इतना नहीं महान।

मिटा सके विधि का लिखा, 

                     बात सही ये मान।


आपस में मानव लड़े, 

                      करें श्वान से प्रीत।

तनिक नहीं भायी मुझे, 

                    दुनिया की ये रीत।


अपनी ही चिंता नहीं, 

                    हो औरों का ध्यान।

यही अपेक्षा आपसे,

                    आप अगर इंसान।


किए भलाई हो भला, 

                     कहता  है  संसार।

जग कहता यूॅ॑ ही नहीं,

                  अनुभव  है  आधार।


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।

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