सुषमा दिक्षित शुक्ला

 वह मेरी आँखों  के तारे।

 जो  मेरे दो लाल दुलारे ।

वह गुरूर हैं अपनी मां के।

 पापा के  वह राज दुलारे ।

एक अगर है सूरज जैसा।

 दूजा भी तो चंदा जैसा ।

इतना प्यार मुझे वह करते ।

नील गगन में जितने तारे ।

वह मेरी आँखों के तारे  ।

जो मेरे दो लाल दुलारे ।

 रामलला सा इक का मुखड़ा।

 सिर पर है  गेसू  घुंघराले ।

एक परी है आसमान की ।

जिसके नयना काले काले ।

 बिन देखे मैं चैन न पाऊं ।

जरा दूर  हों राज दुलारे ।

वह मेरी आँखों  के तारे ।

जो मेरे दो लाल दुलारे।

 है गुलाब सा इक मतवाला ।

दूजा मानो कमल निराला।

 मेरे घर की बगिया में है ।

स्वयं प्रभू ने  डेरा डाला ।

कृष्ण सुभद्रा की सी जोड़ी ।

 उनके मुखड़े प्यारे-प्यारे ।

वह मेरी आँखों  के तारे ।

जो मेरे दो लाल दुलारे ।

 माँ हूँ ख्याल  रखूँ मैं उनका ।

वह भी बन जाते हैं रखवारे ।

प्रभु की करूणा उनपर बरसे ।

सदा दुआ यह निकले दिल से ।

उनकी नजर उतारूं हर दिन।

 मुझको लगते इतने प्यारे ।

 वह  मेरी आँखों के तारे   ।

जो  मेरे  दो  लाल  दुलारे ।


सुषमा दिक्षित शुक्ला

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