नशे में चूर होते जा रहे हैं।
यही दस्तूर होते जा रहे हैं।
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कृपा तेरी हुई जिनपर कन्हैया।
वही पुरनूर होते जा रहे हैं।
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हमें तो भा रहा है संग तेरा।
ग़मो से दूर होते जा रहे हैं।
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ये दुनिया तंज कहती है जो हम पर।
बशर सब क्रूर होते जा रहे हैं।
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दिवाना वो हमारा हम हैं उसके।
सितम बेनूर होते जा रहे हैं।
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डराते थे सुनीता को जो डर भी।
चले काफूर होते जा रहे हैं।
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सुनीता असीम
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