बात दिल में जब बिठा ली जायगी।
आह मन की तब निकाली जायगी।
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बद्दुआ दिल से किसी को दो नहीं।
क्या समझते हो कि खाली जायगी।
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रूठकर मुँह फेरने की रीत भी।
ये नहीं हमसे संभाली जायगी।
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हम गए जो रूठ तो ये आपकी।
साख भी कब तक बचाई जायगी।
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किस तरह से कह रहे हो बात ये।
चार लोगों में उछाली जायगी।
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हिज़्र की रातें कटें गी ही नहीं।
प्रेम की होली ही जलाली जायगी।
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वक्त जाने में सुनीता है अभी।
कृष्ण छवि मन में बसाली जायगी।
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सुनीता असीम
25/12/2020
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