"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
कालिका प्रसाद सेमवाल
*मां विद्या विनय दायिनी*
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वर दे मां सरस्वती वर दे
इतना सा वर मां मुझको देना,
कंठ स्वर मृदुल हो तेरा गुणगान करु,
जन-जन का मैं आशीष पाऊं
सब के लिए मां मैं मंगल गीत गाऊं
मां विद्या विनय दायिनी।
दीन दुखियों की मैं सेवा करुं
प्रेम सबसे करुं छोटा या बड़ा हो,
दृढ़ता से कर्तव्य का मैं पालन करुं
हाथ जोड़ कर मैं नित तेरी वंदना करुं
बस नित यही अर्चना मां तुम से करु
मां विद्या विनय दायिनी।
मां सरस्वती स्वर दायिनी
दे ज्ञान विमल ज्ञानेश्वरी
तू हमेशा सद् मार्ग बता मातेश्वरी,
तेरी कृपा सभी पर रहे परमेश्वरी
भारत मां की स्तुति नित करता रहूं
बस यही भाव हर भारतीय में रहे।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड
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