*माँ हंसवाहिनी ज्ञान दो*
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भावना श्रद्धा सुमन
अर्पित करुं माँ हंसवाहिनी,
मन वचन और कर्मणा से
माँ मैं तुम्हारी अर्चना करुं।
भव बंधनों के जाल से
तार दो माँ हंसवाहिनी,
अन्तकरण की शुद्धता से
वसुधा पर हो सद्भावनाएँ।
माँ हर आँगन में दीप जले
दिव्य ज्ञान की ज्योति जगा दो,
अपनी करुणा हस्त बढ़ाकर
माँ विद्या का वरदान दो।
चारों ओर है सघन अंधेरा
विषयों ने डाला है डेरा,
हमको नव सुप्रभात दो
माँ हंसवाहिनी ज्ञान दो।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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