रवि रश्मि अनुभूति

 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '


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  स्वदेश प्रेम         गीत   16 , 16

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देश कई हैं इस धरती पर , मेरा देश सभी से न्यारा .....

इसके लिए सब जान देंगे , मेरा देश सभी से प्यारा .....


सागर प्यारा लहराता है , माँ के पाँव पखारे हर पल 

पावन नदियाँ , पावन गंगा  , मीठा ही होता जिसका जल 

पूरे सपन यहाँ होते है , बहती सदा प्रेम की धारा .....

देश कई हैं इस धरती पर , मेरा देश सभी से न्यारा .....



समता की हम ज्योति लगायें ,भेदभाव तो हम सब भूलें 

मिलजुल कर यहाँ रहें हम सब  , सपनों के नभ को हम छू लें 

भाईचारे की बात करें , बहे प्रेम की ही रसधारा .....

देश कई है इस धरती पर , मेरा देश सभी से प्यारा .....


सब मिल हम त्योहार मनायें , होली रहे या फिर दिवाली 

उसी लीक पर हम चलो चलें , शिक्षा ली सुनो गुरुओं वाली 

एक बनें हम नेक बनें हम , लगता मानवता का नारा .....

देश कई हैं इस धरती पर , मेरा देश सभी से न्यारा .....


ऋषियों - मुनियों का है देश यह , जन्मे यहाँ पर माँ के लाल 

जिनसे हुआ अभी तक सुन लो , ऊँचा सदा भारत का भाल 

हरा भगा दिया दुश्मनों को , कोई कभी सैनिक न हारा .....

देश कई इस धरती पर , मेरा देश सभी से न्यारा .....


इसके लिए हम जान भी देंगे , मेरा देश सभी से प्यारा .....

देश कई इस धरती पर , मेरा देश सबसे न्यारा .....

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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '

25.12.2020 , 4:42 पीएम पर रचित  ।

मुंबई  ( महाराष्ट्र ) ।

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C.c.

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