निशा अतुल्य

डॉक्टर 18.12.2020 नब्ज़ मेरी जरा देखो डॉक्टर लगता मुझे बुखार चढ़ा माथा मेरा ठंडा बहुत है पर जाड़ा चढ़ता लगता । एक बुखार कोरोना का है सांस सांस पर भारी है घर से निकलते डर लगता है कैसी ये बीमारी है । कुछ तुम को जो समझ में आया तो हमको बतलाओ जरा दुविधा में जीवन भारी है सिर से पांव तक रहूँ ढँका । साँस न अब आती है मुझको मुँह नाक कब तक रखूं ढका कोरोना से मिलें कब छुट्टी मन मेरा ये सोच रहा । कोरोना के चक्कर में ही जीना मुश्किल हुआ मेरा । स्वरचित निशा"अतुल्य"

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