मधु शंखधर स्वतंत्र

 गीत...

*विषय.. ह्रदय*

हृदय से प्रेम होता दृढ़, ह्रदय से ही घृणा पलती।

ह्रदय का भाव सर्वोत्तम, ह्रदय में भावना ढ़लती।


अटल विश्वास भी आकर, कहीं पर डगमगा जाए।

किसी का प्रेम यादों में, नैन में अश्रु भर जाए।

ह्रदय में वेदना ऐसी, गंग की धार ज्यूँ छलती।

ह्रदय का भाव सर्वोत्तम........।।


ह्रदय से जो बने रिश्ता, साथ पल पल निभाता हैं।

कभी जब साथ छूटा तो, ह्रदय भी टूट जाता है।

ह्रदय की बात है अनुपम , पवन के वेग सी चलती।

ह्रदय का भाव सर्वोत्तम......।।


ह्रदय की टूटती ध्वनि से, धारणा झूठ धाती है।

रूकी साँसे मनुज की तो,जिन्दगी रूठ जाती है।

ह्रदय करता है स्पंदन,मृत्यु मधु जीव की टलती।

ह्रदय का भाव सर्वोत्तम.......।।

मधु शंखधर स्वतंत्र

प्रयागराज ✒️

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