निशा अतुल्य

 अभिमान 

5.12.2020



क्यों माटी में मिल जाएगा तन कोई बतलाए ना

सुंदर तन पर अभिमान है कैसा समझ ये आये ना ।।


जो आया वो जाएगा ही,मन समझ क्यों पाये ना

रो रो अपनी आँख गवाई साथ कुछ जाये ना ।।


जीवन धारा कहाँ से बहती कोई बतलाए ना 

बिता जीवन कहाँ है जाता कोई समझाए ना ।


फूल खिले है क्यारी क्यारी बिखर ये जाए ना ।

सुगंध बसी है इसमें कैसे समझ ये आये ना ।।


जीवन पथ है बंद लिफाफ़ा पढ़ कोई पाये ना

कौन मिले कब जीवन पथ में कोई जाने ना ।


साथ चले जो सदा हमारे वो ही लगते हमको प्यारे

बिछड़ जाते क्यों वो राह में समझ ये आये ना ।


जाने वाले छोड़ जगत को जाने जाएं कहाँ 

ढूंढे उनको बैरन अंखियाँ नजर वो आये ना ।।

स्वरचित

निशा अतुल्य

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