*शारदे वन्दना*
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माँ शारदे मेरी यही कामना,
ध्यान में डूब कर तेरे गीत गाता रहूं,
कण्ठ से फूट जाये मधुर रागनी,
गीत गंगा में गोते लगाता रहूं।
स्वर लहर में रहे भीगते रहे मन,
शारदा माँ भजन में लगन चाहिए,
मिट जाये जगत के सारे तम
हंस वाहिनी शुभे सर्वत्र चाहिए
शब्द के कुछ सुमन तुम्हें अर्पित,
बस चरण में शरण माँ दीजिए,
हर हृदय चले कुछ सुवासित यहां,
छन्द में ताल लय नव सृजन चाहिए।
कल्पना के क्षितिज नये बिम्ब हो,
चित्र जिनसे नये नित सजाया रहूं।
अपनी कृपा माँ बरसाती रहो,
मैं गीत नित तुम्हारे गाता रहूं।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
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