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विनय साग़र जायसवाल
ग़ज़ल
ग़ैर से तू मिला नहीं होता
यह तेरा फ़ैसला नहीं होता
साक़िया क्यों तुम्हारी महफ़िल में
जाम मुझको अता नहीं होता
जाम पीता मैं आज जी भर के
सामने पारसा नहीं होता
जब भी आती हैं मुश्किलें यारो
कोई मुश्किलकुशा नहीं होता
उसको शादी कहूँ मुबारक हो
मुझसे यह हक़ अदा नहीं होता
माँग भरता ख़ुशी ख़ुशी तेरी
गर मैं शादीशुदा नहीं होता
मेरी तन्हाई में कभी *साग़र*
कोई तेरे सिवा नहीं होता
🖋️विनय साग़र जायसवाल
17/12/2020
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