नूतन लाल साहू

 कटु सत्य बातें


करम की गठरी लाद के

जग में फिरे इंसान

जैसा करे वैसा भरे

विधि का यही विधान

कर्म करे किस्मत बने

जीवन का ये मर्म

प्राणी तेरे भाग्य में

तेरा अपना कर्म।

चुन चुन लकड़ी महल बनाया

मुरख कहे घर मेरा

ना घर तेरा ना घर मेरा

चिड़िया रैन बसेरा

जब तक पंछी बोल रहा है

सब राह देंखे तेरा

प्राण पखेरु उड़ जाने पर

कौन कहेगा मेरा

लख चौरासी भोगकर,मुश्किल से

मानुष देह पाया है

यह संसार कांटे की बाड़ी

उलझ पुलज मर जाना है

क्या लेकर तू आया जगत में

क्या लेकर तू जा जावेगा

तेरे संग क्या जायेगा

जिसे कहता तू मेरा है

चांद सा तेरा बदन यह

ख़ाक में मिल जायेगा

करम की गठरी लाद के

जग में फिरे इंसान

जैसा करे वैसा भरे

विधि का यही विधान

कर्म करे किस्मत बने

जीवन का ये मर्म

प्राणी तेरे भाग्य में

तेरा अपना कर्म


नूतन लाल साहू


समय


समय बहरा है

किसी की नहीं सुनता

लेकिन वह अंधा नहीं हैं

देखता सबको है

समय न तो कभी बिकता है

और न ही समय कभी रुकता है

समय किसी के बाप का

होता नहीं हैं, गुलाम

समय आयेगा,समय पर

इसको निश्चित जान

समय से पहले किसी को भी

नहीं मिला सम्मान

उस इंसान का जीना भी क्या

जिसमें ज्ञान की ज्योति नहीं हैं

समय अगर मेहरबान हुआ तो

राम रतन धन पा जायेगा

समय बहरा है

किसी की नहीं सुनता

लेकिन वह अंधा नहीं हैं

देखता सबको है

चार दिन की चांदनी

फिर अंधेरी रात

समय का सदुपयोग नहीं किया तो

फिर पाछै पछतायेगा

दौलत,ताकत,दोस्ती,लोकप्रियता,प्यार

समय अगर अनुकूल नहीं

तो सब कुछ है बेकार

कल करे सो,आज कर

आज करे सो अब

पल में परलय होत है

बहुरी करेगा कब

समय का गणित,जीवन भर

समझ नहीं सका,इंसान

समय बहरा है

किसी की नहीं सुनता

लेकिन वह अंधा नहीं हैं

देखता सबको है


नूतन लाल साहू



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