मकर संक्रांति के अवसर पर समस्त सहित्यप्रेमियो को सादर निवेदित चंद पंक्तियाँ~~
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सप्त दिवस के अश्वों से युत,
रथ पर दिनकर चलते है।
मकर राशि में रवि प्रवेश की ,
नीरज रचना करते है।।
तिल-तिल करके दिन बढ़ने का, पर्व मकर संक्रान्ती का।
कटी पतँगों आओ मित्रों, पुनः लूटने चलते है।।
भास्कर की तरह तुम चमकते रहो।
दामिनी की तरह तुम दमकते रहो।
फूल गुलशन में लाखो है,तुम से नही।
तुम अमर पुष्प बन कर महकते रहो।।
आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950
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