सलाह
फिक्र करता है,क्यों
फिक्र से होता है,क्या
रख अपने इष्ट देव पर भरोसा
फिर देख,होता है क्या
सत्संग में,आने से ही
दृष्टि बदल जाती हैं
भगवान को, सन्मुख पाकर
सृष्टि बदल जाती हैं
सांसारिक वासनाओं में
व्यर्थ की कल्पनाओं से
नाता मत जोड़
नाता जोड़ना है तो,भगवान से जोड़
फिर देख होता है, क्या
खुद को भूलकर
इधर उधर,क्यों भटक रहा है
तू खुशी की तलाश में
पैरों में तो,मोह माया की
जंजीर पड़ी हुई हैं
अपनी क्षमता को पहचानो
और छोड़ दें,फिक्र करना
मानव जीवन,सफल हो जावेगी
सतगुरु की शरण में आ जा
फिर देख होता है, क्या
ब्रम्ह ज्ञान में बड़ी शक्ति हैं
ज्ञान सुन ले,घड़ी दो घड़ी
उस इंसान की जीना भी क्या
जिसमें ज्ञान की ज्योति नहीं हैं
और उस जीवन का मतलब भी क्या
जिसमें प्रेम की बोली,नहीं हैं
फिक्र करता है,क्यों
फिक्र से होता है,क्या
रख अपने इष्ट देव पर भरोसा
फिर देख होता है क्या
नूतन लाल साहू
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