एस के कपूर श्री हंस

 *।।रचना शीर्षक।।*

*।। जब जायो तो दुनिया में आपकी*

*कोई निशानी रह जाये।।*


जायो दुनिया से ऐसे किआपकी

कोई निशानी रह जाये।

यहाँ कहने सुननी   को  आपकी

कोई कहानी रह जाये।।

जीवन में   कुछ   बनना    है  तो

कभी हार मत मानना।

ऐसे हों कर्म आपके  कि  दुनिया

में कद्रदानी रह जाये।।


कठनाईयां आती  तो  आत्मबल

का   उपहार   देती   हैं।

आंतरिक   क्षमता  और  साथ में

अनमोल सुधार देती हैं।।

सदैव समय से   जीतने  की नहीं

सीखने की कोशिश करें।

करें अपना कर्म तो   प्रभु   शक्ति

भाग्य का उपकार देती है।।


यही कोशिश हो हमेशा कि काम

के लिए दीवानी बनी रहे।

अच्छे विचारों   के   साथ  जीवन 

की यह   रवानी बनी रहे।।

मत निराश होनाअंधेरे से कि भोर

जरूर   ही      होती   है।

एक हीआस्था बसे मन में कि प्रभु

की मेहरबानी बनी  रहे।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*'"

*बरेली।।*

मोब।।।          9897071046

                     8218685464


*।।रचना शीर्षक।।*

*।।तन उजला मन मैला,यह*

*कैसी गलत सफाई है।।*


तन उजला मन   मैला यह

कैसी      करी   सफाई  है।

काहे इतनी कलुष भावना

पानी में   आग    लगाई है।।

मैं   को   त्यागो  चलो बस

मिल कर  हम   की   ओर।

हर दिल   को   जीतने की 

बस यही एक     दवाई  है।।


अपने कर्मों का नित  प्रति

दिन स्वाकलन  करते रहो।

सद्भावना के  साथ  थोड़ा

झुककर सदा   चलते रहो।।

स्वादऔर विवाद  दोनों से

बच   कर चलो  जीवन में।

स्वास्थ्य और   संबंधों की

नींव भी  सदा भरते   रहो।।


जियो ऐसे कि जीवन  एक

यादगार किस्सा बन जाये।

जिन्दगी सबके साथ मिला

कोई एक हिस्सा बन जाये।।

साथ  सबके सहकार और

मिल कर सरोकार   में रहो।

कंही जीवन घसीटता और

रिसता घिस्सा न बन जाये।।


रिश्तों में बनाकर रखो जरा

अपनापन जिक्र  करते रहो।

हर किसी की चाह  की  हो

सके फिक्र भी   करते  रहो।।

रिश्तें  निभाना बनाने से भी

ज्यादा है    मुश्किल   काम।

ना रखो मन में छुपाकर बुरा

लगे तो तर्क भी   करते  रहो।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"

*बरेली।।।*

मोब।।।          9897071046

                     8218685464

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