*तिरंगे को फहरायेगें*
[ काव्य पाठ, स्वास्थ सेवा महानिदेशालय ]
तिरंगे को फहरते देख,
मेरा मन लहरता है l
कहता है,
फहरो फहरो, खुब फहरो,
नील गगन में l
मेरे चमन में l
तेरा सुगंध महाकता है ll
तुम्हे और ही अधिक ऊंचाइ पर, फहराना है l
तेरे यश और गुण को गुनगुनाना है ll
हमारे कदम आगे को बढ़ रहे हैंl
भारत के शौर्य को कह रहे हैं ll
हमने अपनी सीमाओ को,
इसी शौर्य से सजाया है l
हिमालय की दुर्गम चोटियों पर,
तिरंगे को लहराया है ll
हम विकास पथ पर अग्रसर हैं,
और आगे बढ़ रहे हैं l
ऊँचाइयाँ छू रहे हैं और,
विकसित राष्ट्र बन रहे हैं ll
चिकित्सा, शिक्षा, और विज्ञान के,
हर आयाम को छू लिया है हमने l
क्रूर करोना के कहर पर विजय पा लिया है हमने ll
हमें जंग जीतना आता है l
चाहें जंग सीमा पर दुश्मन से हो l
या वैश्विक महामारी, करोना से हो ll
हमें सबको हराना आता है ll
हिमालय के ललाट पर,
हमने चन्दन का तिलक लगाया है l
सागर की लहरों को सीने से लगाया है ll
कच्छ से असम तक हमारे हौंसले घूम आते हैं l
गंगा,यमुना,कावेरी के तट पर नहाते हैं ll
लाल किले का प्राचिर कहता है कि,
हम योद्धा हैं ll
हमने जंग जीत कर दिखाया है l
दुश्मन को उसके घर में हराया है ll
क्रूर करोना से दो दो हाथ किये हमने l महामारी में पीड़ित मानवता का जम कर साथ दिया हमने l
करोना योद्धा बन कर,
करोना को छकाया है l
बताओ न क्या भारत में,
करोना का दूसरा लहर आया है ll
क्षय के खिलाफ भी जंग की,
पूरी तैयारी है l
क्षय का क्षय होगा, आगे इसकी बारी है ll
वर्ष 2025 को क्षय मुक्ति वर्ष मनायेंगे l
उम्मीदों के पँख को जमकर लहरायेगे ll
गणतंत्र दिवस के अवसर पर,
तिरंगे को फहरायेगें ll
©®राजेश कुमार सिंह "श्रेयस"
लखनऊ, उप्र
दिनांक 25-01-2021
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