कुछ दर्द दिया यदि है तुमको , समझो अपना अब माफ करो।
मन साफ रखो तुम ये अपना , हृद में न कभी तुम द्वैष धरो।
जलते नर जो तुम से नित हैं , उनके हृद प्रेम प्रकाश भरो।
बन के रहता नर जो अपना , उसके हृद की तुम पीर हरो।
संदीप कुमार विश्नोई रुद्र
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें